Final Account क्या है ?
लाभ-हानि को निर्धारित करने एवं व्यवसाय के स्थिति को प्रकट करने के लिए जो
लेखा तैयार किया जाता है, उसे Final Account कहा जाता है।
अंतिम लेखा लेखांकन का एक मुख्य हिस्सा होता है जिसके अंतगर्त व्यवसाय के
लाभ-हानि को निर्धारित किया जाता है और व्यवसाय के वृत्तीय स्थिति को प्रकट किया
जाता है।
इसे हम ऐसे भी कह सकते है कि लाभ-हानि एवं व्यवसाय के स्थिति को जानने के लिए
जो लेखा तैयार किया जाता है, उसे Final Account कहा जाता है।
एक माह, तीन माह, छः माह एवं एक वर्ष के अन्तराह पर तैयार किया जाता है। समान्यतया व्यवसायि लोग
एक-एक वर्ष पर यह लेखा तैयार करता है।
Final Account तैयार करने के लिए बहुत सारे लेखा को तैयार करना पड़ता है।
अंत में लाभ-हानि एवं व्यवसाय के स्थिति को
जानने के लिए यह लेखा तैयार किया जाता है। इसलिए इसे अंतिम लेखा कहा जाता है।
Final Account, Trial Balance में दिए गये सुचना के आधार पर बनाया जाता है।
Trial Balance, Ledger में दिये गए सूचनाओं के आधार पर बनाया जाता है और Ledger,
Journal में दिए
गये सूचनाओं के आधार पर बनाया जाता है।
अतः Final Account के लिए Trial Balance का होना जरूरी है। Trial
Balance के लिए Ledger
का होना जरूरी है
तथा Ledger के लिए Journal का होना जरूरी है।
लेखांकन एक वृक्ष के समान है जिसके जड़ को Journal कहा जा सकता है। तना एवं शाखाओं
को Ledger एवं Trial Balance कहा जाता है तथा शीर्ष भाग को जिसमे फल लगता है उसे Final
Account कह देना
गलती नहीं होगा।
Final Account के अंतगर्त निम्नलिखित तीन Account तैयार किया जाता है :
1 Trading Account (व्यापार खाता)
2 Profit And Loss Account (लाभालाभ खाता)
3 Balance Sheet (आर्थिक चिट्ठा)
संक्षेप में Final Account के निम्नलिखित उद्देश्य है :
1 संस्था
के आर्थिक संसाधनों एवं दायित्वों के बारे में वित्तीय आंकड़े उपलब्ध कराना तथा
उनका वित्तीय स्थिति पर प्रभाव दर्शाना।
2 संस्था
के परिचालन लाभ तथा शुद्ध लाभ के आँकड़े उपलब्ध कराना तथा उनका वित्तीय स्थिति पर
प्रभाव दर्शाना।
3 वित्तीय
विवरणों में हित रखने वाले पक्षकारों को पर्याप्त व विश्वसनीय सूचनाएं प्रदान
करना।
4 व्यवसाय
की सही एवं उचित स्थिति प्रकट करना।
5 भावी
क्रियाकलापों के लिए आधार प्रस्तुत करना
Final Account के प्रयोगकर्ता निम्नलिखित है :
1 व्यवसाय
के स्वामी/अंशधारी :
व्यवसाय के स्वामी या अंशधारी व्यवसाय की प्रगति एवं कल्याण में रूचि रखते
हैं। व्यवसाय के स्वामी या अंशधारी वर्तमान तथा भावी लाभोपार्जन क्षमता तथा भावी
संभावनाओं के मूल्यांकन के लिए का विश्लेषण करते है।
2 प्रबन्ध
:
प्रबन्धक संस्था के स्वामी के प्रति उत्तरदायी होते हैं।
3 बैंक
तथा अन्य वित्तीय संस्थाएं :
बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थाएँ निवेशक के रूप में कार्य करती है।
4 सरकार
अथवा नियामक प्राधिकारी
5 लेनदार
6 कर्मचारी
7 अन्य प्रयोगकर्ता
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