Tuesday, 21 July 2020

Basics of Accounting, Golden Rules of Accounting, Voucher Entry, Ledger Posting, Final Accounts Preparation.

Smart Accounting

Accounting क्या होता है ? एकाउंटिंग यानि लेखांकन! व्यावसायिक खातो और व्यवसायिक लेनदेन का विधि अनुसार दस्तावेज रखने और खातो को लिखने की प्रक्रिया को ही एकाउंटिंग या लेखांकन कहते हे। यहाँ एक वाणिज्यिक विधि हे इसके अपने सिद्धांत हे, और यहाँ वितीय लेनदेनो को नियंत्रित करने के लिए की जाती हे। तथा यह सभी प्रकार  की  व्यवसाय के लिए लागु होती हे, किन्तु कुछ व्यापारो के लिए अनिवार्य रूप से लागु होती हे।


इसकी अनिवार्यता व्यवसाय के आकार प्रकार पर निर्भर करती हे। वेसे व्यवाहरिक द्रष्टि से सभी को एकाउंटिंग करनी चाहिए ताकि उचित मूल्याकन किया जा सके, तथा किसी भी विवाद की स्थिति में व्यवसायिक प्रमाण के तोर पर इसका इस्तेमाल किया जा सके। वेसे एकाउंटिंग करने का प्रमुख उदेश्य लाभ और कर(Tax) का उचित निर्धारण किया जा सके।

 

लेखांकन विधि के मानक पूरी दुनिया में सामान हे ताकि पूरी दुनिया में व्यापार में सुगमता हो। इसलिए इस विधि को आधुनिक एकाउंटिंग या लेखांकन कहते हे। आधुनिक एकाउंटिंग में (Double Entry System) दोहरा लेखांकन पद्धति का इस्तेमाल किया जाता हे। इस पद्धति में दोनों खाते सामान रूप से जुड़े होते हे तथा दोनों खातो में अंको की संख्या भी सामान होती हे। इस पद्धति में दोनों खाते एक दुसरे के पूरक होते जेसे एक डेबिट (नामे) होता हे तो दूसरा क्रेडिट (जमा) होता हे। मतलब प्लस (+) माईनस (-) ऋणात्मक और धनात्मक के सिध्दांत पर कार्य करती हे।

 

इस पद्धति में वितीय वर्ष भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर (1 अप्रैल से 31 मार्च) सामान होता हे। (Double Entry System) के पहली बार पूर्ण सैद्धांतिक नियम फ़्रांसीसी नागरिक Luca de Pacioli, लुका डी पासोली ने सन 1445 में प्रस्तुत किये थे।

Golden Rules of Accounting

पद्धति तीन प्रमुख नियमो पर आधारित हे

            1 पाने वाला नामे (Debit) और देने वाला जमा (Credit)

            2 सभी आय, लाभ जमा (Credit) और सभी व्यय, हानि नामे (Debit)

            3 आने वाला नामे (Debit) और जाने वाला जमा (Credit)

इस पद्धति में तीन चरण होते हे

      1 लेखांकन (Entry of Transaction)

      2 बही खाता लेखांकन (Bookkeeping) Maintain the Books and Recorded

      3 अंककेक्षण (Audit) खातो का परिक्षण

इस पद्धति में तीन प्रकार के खाते होते हे

1) (Personal Account) व्यक्तिगत खाते :-

जो खाते व्यक्ति के नाम को दर्शाते हे उसे Personal Account कहते हे। जेसे राम और श्याम आदि |

 

2) (Real Account) वास्तविक खाते :-

जो खाते किसी वस्तू या सम्पति को दर्शंते हे उसे Real Account कहते हे। जेसे कैश बैंक और कंप्यूटर आदि |

 

3) (Nominal Account) नाम मात्र के खाते :-

जो खाते लाभ, हानि और आय, व्यय को दर्शाते हे उसे Nominal Account कहते हे। जेसे सैलरी, वैजेस, रेंट, सेल्स, परचेस आदि।

वेसे लेखांकन की प्राचीन पद्धति भी हे इन का विवरण इस प्रकार हे

 1 नगद लेनदेन पद्धति (Cash Transaction System) इस में नगद लेनदेन का ही लेखा किया जाता हे |

 2 एकल लेखा पद्धति (Signal Entry System) इस में लेनदेन के एक पक्ष का लेखा किया जाता हे |

  3 बही खाता पद्धति (Book Keeping System) इस में नगद उधार दोनों लेनदेनो का लेखा किया जाता था |

व्यक्तिगत लेखा(Personal Account)

व्यक्ति एवं संस्था से सम्बंधित लेखा को व्यक्तिगत लेखा कहते है । जैसे मोहन का लेख, शंकर वस्त्रालय का लेखा व्यक्तिगत लेखा हुआ ।

 

व्यक्तिगत लेखा का नियम (Rule of Personal Account)

पाने वाले को नाम (Debit The Receiver)

 

देने वाले को जमा (Credit The Giver)

 

स्पष्टीकरण :

जो व्यक्ति कुछ प्राप्त करते हैं उन्हें Receiver कहा जाता है और उन्हें Debit में रखा जाता है । जो व्यक्ति कुछ देते है, उन्हें Giver कहा जाता है और उन्हें Credit में रखा जाता है।

 

उदाहरण :

मोहन को 1000 रुपया दिया गया, मोहन 1000 रुपया ले रहा है वह Receiver हुआ इसलिए उन्हें Debit में रखा जायेगा ।

 

सोहन से 1000 रुपया प्राप्त हुआ । सोहन 1000 रुपया देय रहा है वह Giver हुआ । इसलिए उन्हें Credit किया जायेगा ।

 

वास्तविक लेखा (Real Account)

वस्तु एवं सम्पति से संबंधित लेखा को वास्तविक लेखा कहतें है । जैसे रोकड़ का लेखा, साईकिल का लेखा वास्तविक लेखा हुआ ।

 

वास्तविक लेखा का नियम (Rule of Real Account)

जो आवे उसे नाम (Debit what comes in )

 

जो जावे उसे जमा (Credit What goes out)

 

स्पष्टीकरण :

व्यवसाय में जो वस्तुएँ आती है उसे Debit में रखा जाता है और व्यवसाय से जो वस्तुएँ जाती है उसे Credit में रखा जाता है ।

 

उदाहरण :

 

मोहन से 1000 रुपये प्राप्त हुआ । एक 1000 रुपया आ रही है इसलिए उसे Debit में रखा जाता है ।

 

सोहन के हाथ घड़ी बेची गया । घड़ी जा रहा है इसलिए उसे Credit में रखा जायेगा ।

 

अवास्तविक लेखा (Nominal Account)

खर्च एवं आमदनी से सम्बन्धित लेखा को अवास्तविक लेखा कहा जाता है । जैसे किराया का लेखा, ब्याज का लेखा अवास्तविक लेखा हुआ ।

 

अवास्तविक लेखा का नियम (Rule of Nominal Account)

सभी खर्च एवं हानियों को नाम (Debit all expenses and losses)

 

सभी आमदनी एवं लाभों को जमा (Credit all incomes and gains)

 

व्यवसाय में जो खर्च होता है उसके नाम को Debit किया जाता है । इसी प्रकार जो आमदनी होता है उसके नाम को Credit किया जाता है ।





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