Tuesday 14 April 2020

कम्‍प्‍युटर के प्रकार


कम्‍प्‍युटर के प्रकार
वर्तमान समय मे कई प्रकार के कम्‍प्‍युटर बाजार मे देखने को  मिलते है समय के साथ इनकी आकार व क्षमता काफी वृद्धि हुई है । साथ ही इनके कार्य का दायरा भी बहुत बढ गया है। इस कारण कम्‍प्‍युटर के प्रकार का निर्धारण कर पाना थोडा कठीन सा हो गया है। अत: इसके प्रकार का निर्धारण इस प्रकार करते है।

क उदेश्‍य के आधार पर
      1 जनरल परपज कम्‍प्‍युटर
      2 स्‍पेशल परपज कम्‍प्‍युटर
ख कार्यपद्धति के आधार पर – यह मुख्‍यत: तीन प्रकार के होते है
      1 डीजिटल्‍ कम्‍प्‍युटर
      2 एनालाग कम्‍प्‍युटर
      3 हाइब्रीड कम्‍प्‍युटर
ग आकार के आधार पर – इसके आधार पर कई प्रकार के कम्‍प्‍युटर है
      1 मेनफ्रेम कम्‍प्‍युटर
      2 मिनी कम्‍प्‍युटर
      3 माइक्रो कम्‍प्‍युटर
      4 पर्सनल कम्‍प्‍युटर
      5 लैपटाप
      6 पामटाप
      7 सुपर कम्‍प्‍युटर
घ अगली पीढी के कम्‍प्‍युटर
      1 नैनो कम्‍प्‍युटर
      2 क्‍वांटम कम्‍प्‍युटर
 उदेश्‍य के आधार पर कम्‍प्‍युटर
आज कम्‍प्‍युटर हर क्षेत्र मे व्‍यापक उपयोग किया जा रहा है इसलिए यह कह पाना कि कोई क्षेत्र अछुता रह गया है बेइमानी होगी अत: इसकी व्‍यापकता को देखते हुए इसको कई प्राकर मे विभाजित किया गया है। इसके पहले प्रकार उदेश्‍य के आधार पर कम्‍प्‍युटर को दो प्रकार मे विभाजित किया गया है। जो इस प्रकार है---
1 जनरल परपज कम्‍प्‍युटर--- जिससे समान्य कार्य किये जाते है। इनका प्रयोग घरों एवं दुकानों
                        किया जाता है। इनके द्वारा एक से अधिक समस्‍योओ को दुर
                        किया जा सकता है।
      2 स्‍पेशल परपज कम्‍प्‍युटर--- यह कम्प्यूटर विशेष कार्य के लिये तैयार किये जाते है। इनका
                               प्रयोग निम्न क्षेत्रों में किया जाता है। जैसे मौसम विज्ञान, कृषि
                               विज्ञान, युद्ध, एवं अंतरिक्ष आदि विज्ञान में इसका प्रयोग होता है।

ख कार्यपद्धति के आधार पर
वर्तमान समय मे कम्‍प्‍युटर कई प्रकार के कार्य कर रहा है लेकिन कम्‍प्‍युटर एक विशेष तकनिकी पर काम करता है उसे बाइनरी या मशीन भाषा कहते है इस कारण इसकी कार्य पद्धिति पर असर आ जाता है। यह मुख्‍यत: तीन प्रकार के होते है
      1 डीजिटल्‍ कम्‍प्‍युटर---- यह कम्प्यूटर अंको की गणना करते है। अधिकांशतः कम्प्यूटर डिजिटल कम्प्यूटर डिलिटल कम्प्यूटर ही होते है। यह तीव्र गति से कार्य करने वाले कम्‍प्रयुटर होते है यह एक सेकेण्‍ड मे करोडो की गण्‍नाए कर सकता है।है। यह 0 व 1 पर कार्य करता है जिसे बाइनरी पद्धति कहते है। इसमे बाइनरी संख्‍या को इलेक्‍ट्रीक पल्‍स के रूप मे कार्य करते है।
      2 एनालाग कम्‍प्‍युटर--- समय के साथ लगातार परिवर्तित्‍ होने वाले भौतिक राशिओं को एनालाग राशि कहते हे जैसे – ताप ,दाब, उर्जा, कार्य आदि । जो भौतिक मात्राओं को नापने का कार्य करते है। एनालॉग कम्प्यूटर का प्रयोग विज्ञान एवं इंजिनियरिंग के क्षै़त्र में किया जाता है। क्योकि इन क्षैत्रों में परिमाप का प्रयोग अधिक होता है। इसकी गति धिमि होती है वेाल्‍टमीटर व बैरोमीटर एक एनालाग कम्‍प्‍युटर के उदाहरण है।
      3 हाइब्रीड कम्‍प्‍युटर--- यह डिजिटल एनालॉग कंप्यूटर का मिश्रित रूप से इसमें गणना व प्रोसेसिंग   के लिए डिजिटल रूप का प्रयोग किया जाता है जबकि इनपुट तथा आउटपुट में एनालाग संकेतों का उपयोग होता है। इस तरह के कंप्यूटर का प्रयोग अस्पताल, रक्षा ,क्षेत्र विज्ञान के क्षेत्र में किया जाता है । वे  कंप्यूटर जो एनालाग एवं  डिजिटल कंप्यूटर दोनों का कार्य करते हैं उदाहरण पेट्रोल पंप यह  पेट्रोल अदि केा नापता  है और उसका मूल्य की गणना भी करता है । इसमें इनपुट तथा आउटपुट एनालाग रूप मे  होता है परन्‍तु प्रोसेसिंग डिजिटल रूप में होता है।  इसमें एनालाग से  डिजिटल कन्‍वर्टर तथा डिजिटल से एनालाग कन्‍वर्टर  का उपयोग होता है ।इसके द्वारा भौतिक मात्राओं को अंको में परिवर्तित करके उसे डिजिटल रूप में ले आते हैं चिकित्सा के क्षेत्र में इसका सर्वाधिक उपयोग होता है। इसके उदाहरण है इसीजी और डायलिसिस मशीन।
ग आकार के आधार पर – इसके आधार पर कई प्रकार के कम्‍प्‍युटर है
      1 मेनफ्रेम कम्‍प्‍युटर --- मेनफ्रेम कंप्यूटर में मुख्य कंप्यूटर एक केंद्रीय स्थान पर रखा जाता है जो सभी डाटा और अनुदेशों को स्‍टोर करता है। उपयोगकर्ता डंब टर्मिनल के माध्यम से मेनफ्रेम कंप्यूटर से जुड़ता है तथा केंद्रीय डाटाबेस और प्रोसेसिंग क्षमता का उपयोग करता है।
मेनफ्रेम कम्‍प्‍युटर आकर में काफी बडे होते है। इनकी डाटा स्‍टोरेज  क्षमता अधिक होती है  तथा डाटा प्रोसेस करने की गति तीव्र होती है। मेनफ्रेम कंप्यूटर से जुडकर एक साथ कई लोग अलग-अलग कार्य कर सकते हैं। अत: इसे multi-user कंप्यूटर कहा जाता है ।इसमें ऑनलाइन रहकर बड़ी मात्रा में डाटा प्रोसेसिंग किया जाता है। मेनफ्रेम कंप्यूटर दो या दो से अधिक माइक्रोप्रोसेसर को एक साथ जोड़कर प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाई जाती है। इसमें 32 या 64 बिट माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग होता है। मेनफ्रेम कम्‍प्‍युटर मे  टाइम शेयरिंग सिस्टम तथा मल्‍टी् प्रोग्रामिंग आपरेटिंग सिस्‍टम का उपयोग करता है। इन सिस्‍टम पर एक साथ् एक से अधिक लोग विभीन्‍न कार्य कर सकते है। इसके लिए मल्टिक्‍स   ऑपरेटिंग सिस्टम का निर्माण बेल प्रयोगशाला में किया गया है।

उपयोग-- इसका उपयोग बड़ी कंपनियों रेलवे आरक्षण, रक्षा ,अनुसंधान, अंतरिक्ष विज्ञान आदि के क्षेत्र में किया जाता है। कुछ मेनफ्रेम कंप्यूटर निम्न है आईबीएम 4381,,आईसीएल 39 आदि।

      2 मिनी कम्‍प्‍युटर--- ये आकार में मेनफ्रेम से काफी छोटे होते है जबकी  माइक्रो कंप्यूटर से  बड़े होते हैं। इसका अविष्कार 1965 में डीइसी नामक कंपनी ने किया। इसमें एक से अधिक माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। इनकी संग्रह क्षमता और गति अधिक होती है। इस पर कई व्यक्ति एक साथ काम कर सकते हैं अतः संसाधनों का साझा उपयोग होता है। 

उपयेाग-- इसका उपयोग यात्री आरक्षण, बड़ी ऑफिस, कंपनी और अनुसंधान आदि में होता है।
      3 इमबेडेड कम्‍प्‍युटर--- किसी उपकरण जैसे टेलीविजन, वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव, कार आदि से जुड़ा छोटा कंप्यूटर जिसे किसी विशेष कार्य के लिए तैयार किया जाता है इम्‍बेडेड कंप्यूटर कहलाता है । इम्‍बेडेड कंप्यूटर एक माइक्रोप्रोसेसर या इंटीग्रेटेड चिप के रूप में होता है जो उस उपकरण के कार्य को सरल बनाता है।

      4 माइक्रो कम्‍प्‍युटर--- माइक्रो कंप्यूटर का 1970 से प्रारंभ हुआ  जब सीपीयू में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग किया जाने लगा इसका विकास सर्वप्रथम आई0बी0एम0  कंपनी ने किया । इसमें 32 या 64 बिट माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है।
 यह वीएलएसआई तथा यूएलएसआई  माइक्रोप्रोसेसर के आकार में कमी आई है जबकि क्षमता कई गुना बढ़ गई है । मल्‍टीमीडिया और इंटरनेट के विकास ने माइक्रो कंप्यूटर की उपयोगिता को हर क्षेत्र में पहुंचा दिया है। कई माइक्रो कम्‍प्‍युटर को संचार माध्‍यमों द्वारा आपस में जोडकर कंप्यूटर नेटवर्क बनाया जा सकता है।  डेस्कटॉप कंप्यूटर, पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप कंप्यूटर, नोटबुक कंप्यूटर ,नेटबुक कंप्यूटर ,टैबलेट तथा स्‍मार्टफोन माइक्रो कंप्यूटर के ही विभीन्‍न रूप है।

वर्ष 1970 में तकनीकी क्षेत्र में इंटेल द्वारा माइक्रोप्रोसेसर का आविष्कार हुआ जिसके प्रयोग से कंप्यूटर प्रणाली काफी सस्ती हो गई। एक कंप्यूटर इतने छोटे हो गई थी इन्हें डेस्‍क पर सफलतापूर्वक रखा जा सकता था इन्हें डेस्‍कटाप कंप्यूटर भी कहा जाता है और यह  माइक्रो कंप्यूटर के आकार छोटे होने से पुस्तक के आकार तथा घड़ी के आकार मे भी आने लगे।


उपयोग--  घर, ऑफिस, विद्यालय, व्यापार, उत्पादन, रक्षा, मनोरंजन, चिकित्सा आदि अनगिनत क्षेत्रों में इसका उपयोग हो रहा है।

      5 पर्सनल कम्‍प्‍युटर--- पर्सनल कंप्यूटर इसे डेक्सटॉप कंप्यूटर भी कहा जाता है । आजकल प्रयुक्‍त होने वाली पीसी वास्‍तव में एक माइक्रो कंप्यूटर ही है। इनमें कीबोर्ड, मॉनिटर तथा सिस्टम यूनिट होते हैं। सिस्टम यूनिट में सीपीयु, मेमोरी तथा अन्‍य हार्डवेयर होते हैं। यह छोटे आकार का सामान्य कार्यों के लिए बनाया गया कंप्यूटर है। इस पर  एक बार में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है इसलिए इसे पर्सनल कंप्यूटर कहा जाता है।
इसका ऑपरेटिंग सिस्टम एक साथ कई कार्य करने की क्षमता रखने वाला होता है। पीसी को टेलीफोन और मॉडेम की  सहायता से आपस में जोड़ा जा सकता है। कुछ प्रमुख पीसी निर्माता कंपनी है—आईबीएम, लेनोवो,एप्‍पल,काम्‍पैक,जेनिथ,  एचसीएल, एचपी ।
उपयेाग--पीसी का विस्तृत उपयोग घर, ऑफिस, व्यापार, मनोरंजन, डाटा संग्रहण, प्रकाशन आदि अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है।
 पीसी का विकास 1981 में हुआ जिसमें माइक्रोप्रोसेसर 8088 का प्रयोग किया गया। इसमें हार्ड डिस्क ड्राइव लगाकर की क्षमता बढ़ाई गई तथा इसे पीसी-एक्‍सटी का नाम दिया गया। 1984 में नये माइक्रोप्रोसेसर 80286 से बनी पीसी को पीसी-एटी नाम दिया गया। वर्तमान पीढी के सभी पर्सनल कंप्यूटर को पीसीएटी ही कहा जाता है। भारत में निर्मित प्रथम कंप्यूटर का नाम सिद्धार्थ है । पेकमैन नामक प्रसिद्ध खेल के लिए निर्मित हुआ था।
6 वर्कस्‍टेशन---  वर्क स्टेशन एक शक्तिशाली पीसी है जो अधिक प्रोसेसिंग क्षमता, विशाल भंडारण और बेहतर डिस्प्ले को ध्यान में रखकर बनाया गया है ।इस पर एक बार में एक ही व्यक्ति कार्य कर सकता है इसका उपयोग वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग, भवन निर्माण आदि क्षेत्रों में वास्तविक परिस्थितियों को उत्‍पन्‍न कर उनका अध्ययन करने के लिए।
7 लैपटाप --- यह नोटबुक के आकार का ऐसा कंप्यूटर है जिसे ब्रीफकेस में रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसमें पर्सनल कंप्यूटर की सभी विशेषताएं मौजूद रहती है। चूकि इसका उपयोग गोद पर रखकर किया जाता है अतः इसे लैपटॉप कंप्यूटर भी कहते हैं।
लैपटाप का विकास एडम आसबर्न  द्वारा 1981 में किया गया था।इसमे एक मुडने योग्‍य एलसीडी मॉनिटर, कीबोर्ड,टचपैड, हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क ड्राइव, सीडी/ डीवीडी ड्राइव अन्‍य पोर्ट रहते है। विधुत के बगैर कार्य कर सकने के लिए इसमें चार्ज की  जाने वाली बैटरी का प्रयोग किया जाता है। सामान्‍यत:  लैपटाप लीथीयम आयन बैटरी का प्रयोग किया जाता है। वाई-फाई और ब्‍लूटूथ की सहायता से इसे इंटरनेट द्वारा जोड़ा जा सकता है। 

नोटबुक नोटबुक या लैपटॉप कंप्यूटर का लघु संस्करण है जिसे गतिमान अवस्था में वायरलेस नेटवर्क द्वारा इंटरनेट का उपयोग करके करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। नेटबुक का आकार व वजन लैपटाप कम्‍प्‍युटर से छोटा हेाता है तथा प्रोसेसिंग और स्टोरेज क्षमता भी कम होती है।

टेबलेट कंप्यूटर- टेबलेट एक छोटा कंप्यूटर है जिसमें कीबोर्ड या माउस का प्रयोग नहीं होता है। इसमें इनपुट के लिए स्टाइल्स, पेन या टचस्क्रीन तकनीक का प्रयोग होता है। टेबलेट में डाटा डालने के लिए वर्चुअल या  ऑन स्क्रीन कीबोर्ड का प्रयोग किया जाता है। इसे वायरलेस नेटवर्क द्वारा इंटरनेट से भी जोड़ा जा सकता है। इसका उपयोग स्‍मार्टफोन की तरह किया जा सकता है।चुकि टेबलेट कंप्यूटर का प्रयोग हाथ में रखकर किया जाता है अतः इसे हैंड हेल्‍ड कंप्यूटर भी कहा जाता है । एप्‍पल कंपनी का आईपैड टेबलेट कंप्यूटर का एक उदाहरण है।

स्मार्टफोन ए‍क मोबाइल फोन है जिसमें कंप्यूटर की लगभग सभी विशेषताएं मौजूद होती हैं। इसमें डाटा इनपुट के लिए टचस्क्रीन तकनीक का प्रयोग करते हैं।
 टेबलेट या पीडीए  एक कंप्यूटर है जिसका प्रयोग वैकल्पिक फोन की तरह किया जाता है। दूसरी तरफ स्मार्टफोन मुख्‍यत: एक फोन है जिसका उपयोग कंप्यूटर प्रोसेसिंग के कुछ कार्यों तथा इंटरनेट का उपयोग करने के लिए किया जा सकता है।  स्मार्टफोन का उपयोग एक हाथ से  किया जा सकता है जबकि  टेबलेट को दोनों हाथों से चलाना पड़ता है। स्मार्टफोन ,टेबलेट को हैंड हेल्ड डिवाइस कहलाते है।

लैपटॉप,नोटबुक, नेटबुक, टेबलेट तथा पीडीए में अंतर-- कंप्यूटर तकनिकी  में हो रहे विकास और उपकरणों के आकार में आई कमी ने इन उपकरणों के बीच के अंतर को कम किया है इन उपकरणों के बीच एक रेखा खींच पाना अत्यंत कठिन हो गया है।
 लैपटॉप डेस्कटॉप कंप्यूटर का मोबाइल संस्करण है। इसमें कीबोर्ड, माउस तथा स्पीकर उपकरण के साथ ही बना होता है। हालांकि प्रोसेसिंग तथा स्‍टोरेज क्षमता अपेक्षाकृत कम हेाती है।
नोटबुक लैपटॉप कंप्यूटर का लघु संस्करण है। इसका वजन अपेक्षाकृत कम होता है तथा इसे साथ में लेकर घूमना आसान होता है। इसमें स्‍क्रीन का आकार 12 इंच तक होते हैं।
नेटबुक कंप्यूटर को मुख्‍यत: गतिमान अवस्था में इंटरनेट तथा उससे  जुड़ी सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन किया जाता है । इसमें प्रोसेसिंग तथा स्टोरेज क्षमता की अपेक्षा नेटवर्क स्‍पीड पर ज्‍यादा  ध्यान दिया जाता है।इसके मानीटर स्क्रीन का आकार14 इंच तक  हो सकता है। नेटबुक मे सामनन्‍यत: आप्टिकल डिस्‍क्‍ ड्राइव नहीं होता है।
 टेबलेट कंप्यूटर में कीबोर्ड तथा माउस का प्रयोग नहीं होता है डेटा तथा निर्देश डालने के लिए स्टाइल या टच स्क्रीन तथा वर्चुअल कीबोर्ड का प्रयोग किया जाता है लैपटॉप ,नोटबुक तथा नेटबुक का प्रयोग गोद में रखकर किया जाता है जबकि टेबलेट कंप्यूटर या स्मार्टफोन का प्रयोग हाथ में पकड़ कर दिया जाता है

 

8 पामटाप---- यह बहुत ही छोटा कंप्यूटर है जिसे हाथ में रखकर कार्य किया जा सकता है। इसे मिनी लैपटॉप भी कहा जाता है । की-बोर्ड की  जगह इसमें आवाज द्वारा इनपुट का कार्य लिया जाता है। पीडीए भी एक छोटा कंप्यूटर है जिसे नेटवर्क से जोड़कर अनेक कार्य किए जा सकते हैं। इसे फोन की तरह ही व्यवहार किया जाता है

      9 सुपर कम्‍प्‍युटर---- सुपर कंप्यूटर अत्‍यधिक तीव्र प्रोसेसिंग शक्ति और विशाल भंडारण क्षमता वाले कंप्यूटर सुपर कंप्यूटर कहलाते हैं। सुपर कंप्यूटर का निर्माण उच्च क्षमता वाले हजारों प्रोसेसरों को एक साथ समानांतर क्रम में जोड़ कर किया जाता है । इसे मल्‍टी प्रोसेसिंग और समांतर प्रोसेसिंग का उपयोग किया जाता है। समांतर प्रोसेसिंग में किसी भी कार्य को अलग-अलग टुकड़ों में तोड़ कर उसे अलग-अलग प्रोसेसर द्वारा संपन्न कराया जाता है। सुपर कम्‍प्‍युटर पर अनेक उपयोगकर्ता एक साथ काम कर सकते हैं अत: इन्‍हे मल्‍टी युजर  multi-user कम्‍प्‍युटर  कहा जाता है।

 सुपर कंप्यूटर के प्रोसेसिंग स्‍पीड की गणना FLOPS Floating point operations per second में की जाती है।  यहां फ्लोटिंग प्वाइंट का तात्पर्य कंप्यूटर द्वारा संपन्न किए गए किसी भी कार्य से है जिसमें भिन्‍न संख्या भी शामिल हो सकते हैं। वर्तमान सुपर कंप्यूटर की गति पेटा फ्लाप मे मापी जाती है। इसके निर्माण का खर्च बहुत अधिक आता है।
विश्‍व मे प्रथम सुपर कम्‍प्‍युटर के निर्माण का श्रेय अमेरिका के क्रे रिसर्च कम्‍प्‍नी को जाता है। जिसकी स्थापना सायमर क्रे ने की थी।  सुपर कंप्यूटर के क्षेत्र में सर्वाधिक योगदान के लिए सायमर क्रे को सुपर कम्‍प्‍युटर का जन्‍मदाता  कहा जाता है।
 भारत में परम सुपर कंप्यूटर का निर्माण --- भारत मे परम सीरीज के सुपर कम्‍प्‍युटर का निर्माण सीडैक पुणे द्वारा किया गया है। परम 8000  सीडैक द्वारा विकसित पहला सुपर कंप्यूटर था जिसका निर्माण 1991 में किया था। इसके निर्माण का श्रेय सीडैक के निदेशक डॉ विजय भास्कर को जाता है। परमपदम   सुपर कंप्यूटर का निर्माण 2003 में किया गया जिसकी गणना क्षमता 1 टेारा फ्लाप यानि  एक खरब गण्‍ना प्रति सेकेण्‍ड थी।  परम युवा टू सुपर कंप्यूटर का निर्माण 2013 में किया गया जो सीडैक द्वारा विकसीत सबसे तेज सुपर कंप्यूटर विश्व के 5 देशों अमेरिका,जापान,चीन,इजराइल और भारतक के पास ही उपलब्‍धहै।
 अनुपम सीरीज  के सुपर कंप्यूटर का विकास बार्क मुंबई के द्वारा किया गया है। पेस सीरीज के सुपर कंप्यूटर का निर्माण अनुराग हैदराबाद के द्वारा डीआरडीओ के लिए किया गया है। भारत में प्रथम सुपर कंप्यूटर फ्लोसाल्‍वर का विकास नाल बेंगलुरु के द्वारा 1980 में किया गया था।
आईबीएम के डीप ब्लू कंप्यूटर ने शतरंज के विश्‍व चैंपियन गैरी कास्‍पोरोव को पराजित किया था यह 1 सेकंड में शतरंज की 200000000 चाले सोच सकता है।
 सुपर कंप्यूटर का उपयोग अनेक क्षेत्रों में किया जा रहा है। जैसे- वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्र में अनुसंधान और डिजाइन के लिए, पेट्रोलियम उद्योग में तेल के भंडारों का पता लगाने के लिए, वायुयान और ऑटोमोबाइल उद्योग में डिजाइन तैयार करने में, अंतरिक्ष अनुसंधान में, मौसम विज्ञान में मौसम का पूर्वानुमान लगाने में, रक्षा क्षेत्र में, कंप्यूटर पर परमाणु बम परीक्षण करने में आदि।

घ अगली पीढी के कम्‍प्‍युटर
      1 नैनो कम्‍प्‍युटर---- नैनो कंप्यूटर नैनो टयुब जिनका व्यास 1 नैनोमीटर तक हो सकता है के प्रयोग से अत्यंत छोटे व  विशाल क्षमता वाले कंप्यूटर का विकास की परिकल्पना की गई है। नैनो टेक्नोलॉजी में पदार्थ की आण्विक रचनाओं का उपयोग किया जाता है।
      2 क्‍वांटम कम्‍प्‍युटर---- विधुति किरणों मे उर्जा इलेक्‍ट्रान की उपस्थिति के कारण होती है । इलेक्‍ट्रान अपने कक्ष मे तेजी से गति करते हैं। इस कारण उन्हें एक साथ 1 और 0 की स्थिति में गिना जा  सकता है। इस क्षमता का इस्तेमाल कर मानव मस्तिष्‍क से भी तेज कार्य करने  वाली कंप्यूटर का विकास का प्रयास चल रहा है। इस प्रकार के कंप्यूटर मे पदार्थ के क्‍वांटम सिद्धांत का उपयोग किया जाता है । सामान्‍य कम्‍प्‍युटर में मेमोरी को बिट में मापा जाता है जबकि क्वांटम कंप्यूटर मे इसे क्‍युबिट में मापा जाता है।
      3 डीएनए कम्‍प्‍युटर-- इसमे जैविक पदार्थ जैसे डीएनए या प्रोटीन का प्रयोग कर डाटा को संरक्षित व प्रोसेस किया जा सकता है।  इसे बायो कंप्यूटर भी कहा जाता है।
      4 केमिकल कम्‍प्‍युटर--- इसमे गणना के लिए पदार्थ के रासायनिक गुणों व सांद्रता का उपयोग किया जा सकता है।

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