Sunday, 12 April 2020

कम्यु्टर के विकास का इतिहास


कम्‍प्‍युटर के विकास का इतिहास
कम्‍प्‍युटर का विकास कई चरणों में हुआ है। इसके विकास का प्रारम्‍भ कब से हुई इसका कोई स्‍पष्‍ट प्रामाण तो नही है लेकिन सभ्‍यता के विकास के साथ ही मनुष्‍य बहुत जिज्ञासु रहा है वह निरन्‍तर अपने सुख सुविधा के लिए नये नये वस्‍तुओ का अविष्‍कार करता चला गया । मनुष्‍य ने पहले अग्नि,पहिये और न जाने क्‍या क्‍या चिजों का अविष्‍कार करता चला गया । आज मनुष्‍य डिजिटल दैार में प्रवेश कर चुका है। और सबसे महत्‍वपुर्ण चीज कम्‍प्‍युटर का अविष्‍कार कर चुका है । परन्‍तु यह एक दिन मे होने वाला घटना नही थी इसके लिए क्रमिक व लगातार प्रयास किया गया जिसके परिणाम स्‍वरूप कम्‍प्‍युटर बन पाया। कम्‍प्‍युटर के विकास को यदि ध्‍यान से अध्‍ययन करे तो इसके विकास को हम तीन चरणों मे बाट सकते है । 

1 उत्‍पति काल---
            इस काल मे मनुष्‍य जीवन जीन के लिए नये नये चीजो व महत्‍वपुर्ण वस्‍तुओं का अविष्‍कार किया जैसे अग्नि,पहिए,जानवारो को पालतु बनाना,जीवन जीने के लिए नये नये कला सिखना इस काल कम्‍प्‍युटर से सम्‍बन्धित कोई अविष्‍कार नही हुआ था लेकिन उस ओर अग्रसर जरूर था।
2 अन्‍धकार कालथा। ( इसा पहली शताब्‍दी से अठारहवी काल तक रहा)—
            इस युग को अन्‍धकार इसलिए कहा जा रहा है क्‍योकि इस समय बहुत बडा समय केवल लोगो ने युद्ध मे नष्‍ट कर दिया और विकास न के बराबर हुआ हालांकि कुछ विकास इस युग मे हुआ जो समय के अनुसार कम था।
3 विकास काल
            कम्‍प्‍युटर विकास कि असली कहानी इस काल मे प्रारम्‍भ होती है इस युग मे बहुत ज्‍यादा विकास हुआ जो इस प्रकार है।
कम्‍प्‍युटर के विकास का समय 3000 हजार वर्ष पुराना है जो चिनी यंत्र अबेकस से प्रारम्‍भ होती है।
1 अबेकस-----
            चीन मे सबसे पहले गणना यंत्र अबेकस का अविष्‍कार किया गया । इसका अविष्‍कार ली काई चेन द्वारा किया गया । इसकी अविष्‍कार सोलहवी शताब्‍दी के आस पास मानी जाती है। इसका काम प्राचीन वेबीलोन मे गणना करने केलिए प्रयोग किया जाता था। इसे संसार का प्रथम गणक यंत्र कहा जाता है। इसमे तारो मे गोलाकार मनके पिरोयी जाती है जिसकी सहायता सके गणना को आसान बनाया गया।गया। इसका प्रयोग जोडने ,घटाने तथा वर्गमुल निकालने मे इसका प्रयोग किया जाता था।

2 नेपियर बोन्‍स---
            इसका अविष्‍कार जान नेपियर जो स्‍कॉटलैण्‍ड का निवासी था ने 1617 में किया था। ये जानवरों की हड्डीयों से बनी आयाताकार पट्टियां होती थी। 10 आयताकार पट्टियों पर 0 से 9 तक के पहाडे इस प्रकार लिखे होते है कि एक पट्टी के दहाई के अंक दूसरी पट्टी के इकाई के अंको के पास आ जाते थे। गणना के लिए प्रयोग मे आने वाली प्रोघोगिकी को राबडोलोगिया कहते है। इसके द्वारा गुणा अत्‍यन्‍त शीघ्रतापूर्वक की जा सकती है । गणानात्‍मक परिणाम को ग्राफिकल संरचना द्वारा दर्शाया जाता था।

3 स्‍लाइड रूल---
            इसका अविष्‍कार विलियम ओटरेड ने 1620 मे किया था । इसमे देा विशेष प्रकार की चिन्हित पट्टियं हेाती थी जिन्‍हे बराबर में रखकर आगे-पीछे सरकाकर लघुगणक की क्रिया सम्‍पन्‍न होती थी। पट्टियों पर चिन्‍ह इस प्रकार होते थे कि किसी संख्‍या के शून्‍य वाले चिन्‍ह से वास्‍तवीक दूरी उस संख्‍या के किसी साझा आधार पर लघुगणक के समानुपाती होती थी।यह लघुगणक विघि के आधार पर सरलता से गणनाएं कर सकता था। 

4 पास्‍कलाइन---
            फ्रांस के गणितज्ञ ब्‍लेज पास्‍कल ने 1642 में प्रथम यांत्रिक गणना मशीन का आविष्‍कार किया। यह केवल जोड व घटा सकती थी। अत: इसे एडिंग मशीन भी कहा गया। यह प्रथम मै‍केनिकल एडिंग म‍शीन है। यह मशीन ओडेामीटर एवं घडी के सिद्धांत पर कार्य करती थी।

5 लेबनीज का यानि्त्रक कैलकुलेटर---
            इस मशीन का अविष्‍कार गोटफ्रेड वॉन लेबनीज जो कि जर्मन के रहने वाले थे ने 1671 मे किया था। इस मशीन को लेबनीज की रेकनिंग मशीन भी कहा जाता है। यह मशीन जोड व घटाव के साथ-साथ गुणा व भाग कर सकने में भी समर्थ थी। कार व स्‍कूटर के स्‍पीडोमीटर में प्रयुक्‍त की जाती है।

6 जेकार्ड लूम---
            सन 1801 में फ्रांसीसी बुनकर जोसेफ ने कपडे बुनने के ऐसे लूक का अविष्‍कार किया जाता कपडो में स्‍वत: ही डिजाइन या पैटर्न देता था।

7 डिफरेंस इंजन और एनालिटिकल इंजन---
            ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्‍स वैवेज ने 1822 में डिफरेंस इंजिन का आविष्‍कार किया जो भाप से चलता था तथा गणनाएं कर सकता था। इसका व्‍यय ब्रिटिश सरकार वहन कर रही थी। इस मशीन मे गियर और शाफ्ट लगे थे। 1842 में चार्ल्‍स वैबेज ने एक स्‍वचालित मशीन एनालिटि‍कल इंजन बनाया जो पंचकार्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य करती थी तथा मूलभूत अंकगणितिय गण्‍नाएं(जोड,,घटाव,गुणा,भाग) कर सकती थी। चार्ल्स बैबेज के कॉन्‍सेप्‍ट का उपयोग कर पहला कम्‍प्‍युटर प्राटोटाइप का निर्माण किया गया । र्चार्ल्‍स बैबेज को कम्‍प्‍युटर में उनके इस विशेष येागदान के लिए आधुनिक कम्‍प्‍युटर का जनक कहा जाता है। दस साल के मेहनत के बावजुद वे पुर्णत: सफल नही हुए।

                                          लेडी एडा आगस्‍टा ने एनालिटिकल इंजन में पहला प्रोग्राम डाला । अत: उन्‍हें दुनिया का प्रथम प्रोग्रामर भी कहा जाता है । उन्‍हें दो अंको की संख्‍या प्रणाली बाइनरी प्राणली के अविष्‍कार का श्रेय भी है। आधुनिक कम्‍प्‍युटर के विकास मे सर्वाध्रिक योगदान अमेरिका के डॉ0 वान न्‍यूमेन का है। इन्‍हे डाटा और अनुदेश दोनो को बाइनरी प्रणली मे संग्रहित करने का श्रेय दिया जाता है।

8 होलेरिथ सेंसस टेबुलेटर—-
            सन् 1890 में कम्‍प्‍युटर इतिहास में एक और महत्‍व्‍पुर्ण घटना हुई वह थी अमेरिकाक का जनगणना का कार्य । सन्‍ 1890 से पूर्व जनगणना का कार्य पारम्‍परिक तरीकों से किया जाता था।था। लेकिन हर्मन होलरिथ ने एक टेबु‍लेटिंग मशीन का अविष्‍कार किया । इसका प्रयोग 1890 की जनगणना मे किया गया था। इसमे संख्‍या पढने का कार्य छेद किए हुए कार्डो द्वारा किया जाता था। एक समय मे एक ही कार्ड केा पढा जाता था। सन 1896 में होलरिथ ने टेबु‍लेटिंग कम्‍पनी की स्‍थापना की जो पंचकार्ड यन्‍त्र का उत्‍पादन करती थी। 1924 में इसका नाम इण्‍टरनेशनल बिजनेस मशीन (आई0बी0एम0) कर दिया गया। हर्मन होलरिथ को मेमोरी के रूप मे पंचकार्ड का अविष्‍कार का श्रेय दिया जाता है। कम्‍प्‍युटर केलिए डाटा स्‍टोर करने से पहले पंचकार्ड का उपयोग टैक्‍स्‍टाइल उधोग में कपडा बुनने की मशीनों को नियंत्रित करने के लिए किया गया था।

9 आइकेन और मार्क-1
            1937 से 1944 के बीच आई०बी०एम० नामक कम्‍पनी के सहयोग तथा वै‍ज्ञानिक हावर्ड आइकेन के निर्देशन में विश्‍व के प्रथम पूर्ण स्‍वचालित विघुत यांत्रिक गणना यंत्र का अविष्‍कार किया गया । इसे मार्क 1 नाम दिया गया । इसका नाम पहले आटोमेटिक सिक्‍वेंस कंट्रोलड कैल्‍कुलेटर रखा।

10 ए0बी0सी0(एटनासाफॅ बेरी कम्‍प्‍युटर)
            1939 में  जान एटनासाफ और क्लिफोर्ड बेरी नामक वैज्ञानिकों ने मिलकर संसार का पहला इलेक्‍ट्र“निक डिजिटल कम्‍प्‍युटर का आविष्‍कार किया । इन्‍हीं के नाम पर इसे एबीसी का नाम दिया गया।

 11 एनिएक(ENIAC-Electronic Numerical Integrator and Calculater)----
            1946 में अमेरिका वैज्ञानिक जे0 पी0 एकर्ट तथा जॉन मुचली ने सामान्‍य कार्येा के लिए प्रथम पूर्ण इलेक्‍ट्रानिक कम्‍प्‍युटर का आविष्‍कार किया जिसे एनिएक नाम दिया गया। इसका विकास आर्मी के कार्येा के लिए किया गया था।ा। इसमे 18000 वेक्‍युम टयुब का प्रयोग किया गया था।

12 इडवैक (EDVAC Electronic Discrete Variable Automic Computer)
            एनिएक कम्‍पयुटर में प्रोग्राम में परिवर्तन कठिन था। इससे निपटने के लिए वान न्‍युमेन ने संग्रहित प्रोग्राम की अवधारणा दी तथा इडवैक का विकास किया। यह प्रोग्राम संग्रहित डिजिटल कम्‍प्‍युटर था। यह वर्गेा के पहाडो की भी गणना कर सकता था। यह मर्करी डिलेय लाइन्‍स का प्रयोग मैमोरी और वैक्‍युम टयुब का प्रयोग लाजि‍क के लिए करता था।
13  एडसैक( 1947-49 EDSAC Electronic Delay Variable Automatic calculator)
            यह पहला कम्‍प्‍युटर था‍ जिस पर प्रोग्राम को रन किया गया था। स्‍टोर्ड प्रोग्राम कान्‍सेप्‍ट के अनुसार प्रचालन निर्देश और आकडा जिनका प्रोसेसिंग में उपयोग हेा रहा है उसे कम्‍प्‍युटर मे स्‍टोर्ड होना चाहिए और आवश्‍यकतानुसार प्रेा्ग्राम के क्रियान्‍वयन के समय रूपा‍न्‍तरित होना चाहिए। एडजैक कम्‍प्‍येुटर कैम्ब्रिज विश्‍वविधालय में विकसित किया गया था जिसमे स्‍टोर्ड प्रोग्राम कान्‍सेपट समाहित था।
14 युनीवैक(UNIVAC UNIversal Automatic Computer)
            यह प्रथम कम्‍प्‍युटर था जिसका उपयोग व्‍यापारिक अैर अन्‍य सामान्‍य कार्येा के लिए किया गया । प्रथम व्‍यापारिक कम्‍प्‍युटर यूनीवैक-1 का निर्माण 1954 में जीइसी ने किया।
15 माइक्रो प्रोसेसर—
            1970 में इंटेल कम्‍पनी द्वारा प्रथम माइक्रो प्रोसेसर इंटेल 4004 के निर्माण ने कम्‍पयुटर क्षेत्र मे क्राति ला दी । इससे छोटे आकार के कम्‍प्‍युटर का निर्माण संभव हुआ जिन्‍हे माइक्रो कम्‍प्‍युटर कहा गया । इंटेल ,पेंटियम,सेलेरान तथा एएमडी वर्तमान मे कुछ प्रमुख माइक्रो प्रोसेसर उत्‍पादक ब्रांड हे।
16 एप्‍पल -2
            1977 में प्रथम व्‍यवसायिक माइक्रो कम्‍प्‍युटर का निर्माण किया गया जिसे एप्‍पल 2 नाम दिया गया।

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