Sunday, 19 April 2020

Introduction to various Linux Shells


लाइन्‍कस सेल क्‍या है---Shell एक कमांड इंटरप्रेटर होता है जो कि यूज़र तथा ऑपरेटिंग सिस्टम के मध्य interactive तथा non-interactive इंटरफ़ेस उपलब्ध कराता है। यूजर कमांड लाइन में कमांड को enter करता है, वह shell के द्वारा interpreted होती है तथा उसके बाद इसको kernel को भेज दिया जाता है।
Shell एक कमांड इंटरप्रेटर ही नही बल्कि एक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है।


Linux में निम्नलिखित प्रकार के Shell उपलब्ध है:-
1:-Bounce Again Shell(BASH)
2:-Korn Shell
3:-TCSH(advanced version of C shell)
4:-CSH(C shell).
शैल के प्रकार (Types of Shell):

C Shell –
बिल जॉय ने इसे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में बर्कले में बनाया। इसमें एलियासेस और कमांड हिस्ट्री जैसे फीचर्स शामिल थे। इसमें बिल्ट-इन अंकगणित और सी-लाइक एक्सप्रेशन सिंटैक्स जैसी सहायक प्रोग्रामिंग सुविधाएँ शामिल हैं।

The Bourne Shell –
इसे स्टीव बॉर्न ने एटी एंड टी बेल लैब्स में लिखा था। यह मूल UNIX शेल है। यह तेज और अधिक पसंदीदा है। इसमें अंतःक्रियात्मक उपयोग के लिए सुविधाओं की कमी है जैसे कि पिछले आदेशों को याद करने की क्षमता। इसमें बिल्ट-इन अंकगणित और तार्किक अभिव्यक्ति हैंडलिंग का भी अभाव है। यह Solaris OS के लिए डिफ़ॉल्ट शेल है।

The Korn Shell
यह एटी एंड टी बेल लैब्स में डेविड कोर्न द्वारा लिखा गया था। यह बॉर्न शेल का एक सुपरसेट है। यह बॉर्न शेल में सब कुछ का समर्थन करता है। इसमें इंटरएक्टिव विशेषताएं हैं। इसमें बिल्ट-इन अंकगणित और सी-लाइक एरे, फ़ंक्शंस और स्ट्रिंग-मैनिपुलेशन सुविधाएं शामिल हैं। यह सी शेल से तेज़ है। यह सी शेल के लिए लिखी गई स्क्रिप्ट के अनुकूल है।

GNU Bourne-Again Shell –
यह बॉर्न शेल के अनुकूल है। इसमें कोर्न और बॉर्बे शेल की विशेषताएं शामिल हैं।

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