Introduction to the functions of an
Operating System
Operating System
ऑपरेटिंग सिस्टम की परिभाषा--ऑपरेटिंग सिस्टम साफ्टवेयर का समूह है जो
कि आंकड़ों एवं निर्देश के संचरण को नियंत्रित करता है। यह हार्डवेयर एवं
साफ्टवेयर के बीच सेतु का कार्य करता है और कंप्यूटर का सॉफ्टवेयर घटक होता है।
इसी की सहायता से ही कंप्यूटर में स्थापित प्रोग्राम चलते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम
कंप्यूटर का मेरुदंड होता है, जो इसके सॉफ्टवेयर
व हार्डवेयर को नियंत्रण में रखता है। यह अनधिकृत व्यक्ति को कंप्यूटर के गलत
प्रयोग करने से रोकता है।
ऑपेरटिंग सिस्टम की
विशेषताएँ
1 स्मृति प्रबंधन (मेमोरी मैनेजमेंट)
2 बहु कार्यकलापन (मल्टी प्रोग्रामिंग)
3 मल्टी प्रोसेसिंग
4 मल्टी टास्किंग
5 मल्टी थ्रेडिंग
6 रियल टाइम
ऑपरेटिंग सिस्टम के
प्रकार
1 उपयोगकर्ता के आधार पर प्रकार
क एकल उपयोगकर्ता: इस में समय में केवल
एक उपयोगकर्ता काम कर सकता है।
ख बहुल उपयोगकर्ता: इस में एक से अधिक
उपयोगकर्ता एक ही समय में काम कर सकते हैं।
ग वास्तविक समय प्रचालन तन्त्र
2 काम करने के आधार पर प्रकार
क कैरेक्टर यूजर इंटरफेस: इस में
उपयोगकर्ता सिस्टम के साथ कैरेक्टर के द्वारा सूचना देता है। उदाहरण: डॉस,यूनिक्स
ख ग्राफिकल यूजर इंटरफेस: इस में
उपयोगकर्ता कम्प्यूटर से चित्रो के द्वारा सूचना का आदान प्रदान करता है। उदाहरण:
विन्डोज़, लाईन्कस डॉस (DOS), यूनिक्स, विंडोज़ ऑपरेटिंग
सिस्टम (३.१, ९५, ९८, २०००, एक्स पी, विस्ता, विंडोज ७) और लिनक्स आदि कुछ प्रमुख प्रचालन
तंत्र हैं।
कुछ महत्वपुर्ण ऑपरेटिंग
सिस्टम के प्रकार इस प्रकार है----विभिन्न प्रचालन तंत्रों में से कुछ हैं:लिनक्स, मैक ओएस एक्स, डॉस, आईबीएम ओएस/2 (IBM OS/2), यूनिक्स, विन्डोज सीई, विन्डोज 3.x, विन्डोज ९५, विन्डोज ९८, विन्डोज मिलेनियम, विन्डोज़ एनटी, विन्डोज २०००, विन्डोज़ एक्स पी, विन्डोज़ विस्टा, विन्डोज़ 7।
Operating System के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
प्रोग्राम को लोड एवं क्रियान्वित करना
प्रोसेसे मैनेजमेंट (Process Management)
मेन मैमोरी प्रबंधन (Main Memory Management)
फाइल प्रबंधन (File Management)
सेकंडरी संग्रह प्रबंधन (Secondary Storage Management)
I/O सिस्टम मैनेजमेंन्ट (I/O System Management)
(A) प्रोग्राम को लोड एवं क्रियान्वित करना
ऑपरेटिंग सिस्टम
(Operating System) हमें सिस्टम एवं एप्लीकेशन प्रोग्रामों को मैमोरी से लोड
करके क्रियान्वयन के दौरान आवश्यक सर्पोटिंग (Supporting) फाइलें भी प्रदान करता हैं।
(B) प्रोसेस मैनेजमेंट (Process
Management)
जब भी कोई
प्रोग्राम एक्जक्यूट कर रहा होता हैं, तो उस प्रोग्राम को प्रोसेस (process) कहा जाता है। किसी कार्य (task) को पूरा करने के लिए किसी भी प्रोसेस को
कुछ निश्चित रिसोर्सेस (resources) की आवश्यकता होती है। रिसोर्सेस (resources) के अन्तर्गत सी.पी.यू. का टाइम (CPU Time), मेमोरी (Memory), फाइल्स (Files) और इनपुट/आउटपुट (I/O) डिवाइसेस आते हैं। ये रिसोर्सेस किसी भी
प्रोसेस को ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा तब एलोकेट (allocate) किए जाते हैं, जब प्रोसेस रन कर रहा होता है।
प्रोसेस दो प्रकार
के होते हैं – ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रोसेसेस (Operating
System Processes) और यूजर के प्रोसेसेस (User Processes)। ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रोसेसेस सिस्टम
कोड (System Code) को एक्जक्यूट करते हैं, जबकि यूजर के प्रोसेसेस (User
Processes) यूजर के कोड को
एक्जक्यूट करते हैं। ये सभी प्रोसेसेस CPU को मल्टीप्लेक्जिंग (multiplexing)
द्वारा विभाजित कर
एक साथ (concurrently) एक्जक्यूट करते हैं।
प्रोसेस मैनेजमेंट
के संदर्भ में ऑपरेटिंग सिस्टम निम्नलिखित कार्यों के लिए उत्तरदायी होता हैं –
1 यूजर और सिस्टम प्रोसेसेस को क्रिएट तथा डिलीट करना।
2 प्रोसेसेस को ससपेन्ड (suspend) और रिज्यूम (resume) करना।
3 प्रोसेस कॉम्यूनिकेशन (process communication) के लिए मेकेनिज्म (mechanism) प्रदान करना।
4 प्रोसेस सिनक्रोनाइजेशन (Process Synchronization) के लिए मेकेनिज्म (mechanism) प्रदान करना।
5 डेडलॉक हैन्डलिंग (Deadlock Handling) के लिए मेकेनिज्म (mechanism) प्रदान करना।
(C) मेन मैमोरी प्रबंधन (Main Memory
Management)
किसी भी आधुनिक
कम्प्यूटर सिस्टम में किसी भी ऑपरेशन को सम्पादित करने में मेन-मेमोरी की महत्वपूर्ण
भूमिका होती है; क्योंकि मेन-मेमोरी ही वह जगह है, जहां से CPU और I/O डिवाइसेस डेटा को तेजी से एक्सेस कर
सकते हैं। मेन-मेमोरी को वर्ड्स (words) या बाइट्स (Bytes) का एक बहुत बड़ा एरे (array) कहा जा सकता है, जिसमें प्रत्येक वर्ड (word) या बाइट (Byte) का अपना एड्रेस होता है। इन्सट्रक्शन-फेच
साइकल (instruction Fetch Cycle) के समय CPU, मेन-मेमोरी से ही इन्सट्रक्शन्स (instructions)
को रीड करता है
तथा डेटा फेच साइकल (data-fetch-cycle) के समय CPU, मेन-मेमोरी से डेटा को रीड/राइड करता हैं। यहां तक कि DMA के माध्यम से किए जाने वाले I/O ऑपरेशन्स भी मेन-मेमोरी में रीड-राइड ऑपरेशन
करते हैं। अत: हम यह कह सकते हैं कि मेन-मेमोरी एक बहुत बड़ा स्टोरेज डिवाइस है, जिसको CPU एड्रेस कर सकता हैं तथा सीधे-सीधे (directly) एक्सेस कर सकता हैं। उदाहरणस्वरूप, यदि डिस्क में स्टोर्ड डेटा को प्रोसेस
करना है तो सर्वप्रथम डेटा को डिस्क से मेन-मेमोरी में स्थानान्तरित करना होगा।
इस स्थानान्तरित डेटा को प्रोसेस करने के लिए इन्सट्रक्शन्स (instructions)
निश्चित रूप से
मेमोरी में विद्यमान होने चाहिए, जो CPU द्वारा एक्जक्यूट किए जा सकें।
किसी भी प्रोग्राम
को एक्जक्यूट करने के लिए प्रोग्राम को मेमोरी में लोड किया जाता है, परन्तु इससे पूर्व प्रोग्राम को एबसॉल्यूट
एड्रेस (absolute address) से मैप (map) किया जाना आवश्यक होता है। जब प्रोग्राम एक्जक्यूट करता
है, तो यह प्रोग्राम इन्सट्रक्शन्स और डेटा को मेन-मेमोरी से
एक्सेस करता है। अन्त में जब प्रोग्राम टरमिनेट होता है, तो मेन-मेमोरी का स्पेस खाली हो जाता है, जो अगले प्रोग्राम के लिए उपलब्ध होता
हैं। अत: उसमें अगले प्रोग्राम को लोड कर एक्जक्यूट किया जा सकता है।
इसके अर्न्तगत
निम्नलिखित कार्य किये जाते हैं-
1 वर्तमान में मेमोरी का कौन सा हिस्सा किस प्रोसेस द्वारा उपयोग (use) हो रहा है।
2 मेमोरी स्पेस (memory space) उपलब्ध होने पर यह निर्णय लेना कि मेमोरी में किन
प्रोसेसेस को लोड किया जाएगा।
3 आवश्यकतानुसार मेमोरी स्पेस को एलोकेट (allocate) और डिएलोकेट (deallocate)
करना।
(D) फाइल प्रबंधन (File
Management)
फाइल मैनेजमेंट
ऑपरेटिंग सिस्टम का सबसे दृश्य (visible) कम्पोनेन्ट है। फाइल, बाइइट्स (bytes) की एक माला (garland) होती है। [“File is a
garland of bytes”.]। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि, फाइल, सम्बन्धित इनफॉरमेशन (related
information) का एक कॉलेक्शन
हैं, जो इसके बनाने वाले (creator) द्वारा परिभाषित किया जाता है। प्रत्येक
फाइल, जो सेकण्डरी स्टोरेज डिवाइस में स्टोर की जाती है, उसका कुछ नाम होता है, जिस नाम से उसे निर्दिष्ट किया जाता है।
प्रत्येक फाइल सेकण्डरी स्टोरेज डिवाइस में किसी डाइरेक्ट्री के अधीन स्टोर
की जाती है। प्रत्येक फाइल की अपनी प्रॉपर्टीज अर्थात् एट्रीब्यूट्स होती है।
फाइल प्रबंधन (File
Management) के संदर्भ में ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating
System) के निम्नलिखित
कार्य हैं:-
1 फाइलों को क्रिएट तथा डिलीट करना।
2 डाइरेक्ट्रीज को क्रिएट तथा डिलीट करना।
3 फाइल्स तथा डाइरेक्ट्रीज के मैनिपुलेशन को समर्थन करना।
4 फाइलों को सेकेण्डरी स्टोरेज पर मैप करना।
5 फाइलों के बैकअप (backup) का समर्थन करना।
(E) सेकंडरी संग्रह प्रबंधन (Secondary
Storage Management)
चूंकि मेन-मेमोरी
का साइज इतना बड़ा नहीं होता कि वह सभी डेटा और प्रोग्राम को स्टोर कर सके, साथ ही इसकी प्रकृति (Nature) उर्ध्वनशील (volatile) होती है। (ज्ञातव्य हो कि उर्ध्वनशील (volatile) मेमोरी वह मेमोरी होती है, जिसमें स्टोर किए गए डेटा और प्रोग्राम
पावर (Power) के गायब होने की स्थिति में नष्ट हो जाते हैं।) अत: कम्प्यूटर
सिस्टम में मेन-मेमोरी में स्टोर्ड डेटा और प्रोग्राम को स्थायी रूप से स्टोर
करने के लिए सेकण्डरी स्टोरेज (Secondary Storage) का होना आवश्यक होता है। आजकल कम्प्यूटर
सिस्टम में डिस्क (disks) का उपयोग प्रोग्राम और डेटा को स्टोर करने के लिए ऑन-लाइन
स्टोरेज मीडिया (on-line storage media) के रूप में किया जाता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम
निम्नलिखित कार्य सम्पन्न कराता हैं।
1 डिस्क के फ्री-स्पेस को मैनेज करने के लिए।
2 स्टोरेज स्पेस को एलोकेट करने के लिए।
3 डिस्क-शिड्युलिंग (Disk Scheduling) के लिए
(F) I/O सिस्टम मैनेजमेंन्ट (I/O System
Management)
ऑपरेटिंग सिस्टम
(Operating System) I/O डिवाइसेज को प्रभावशाली रूप में उपयोग
करने में मदद करता हैं, एवं उसकी जटिलताओं से यूजर को मुक्त करता हैं। ऑपरेटिंग
सिस्टम विभिन्न हार्डवेयर डिवाइसेस (hardware devices) के डिवाइस ड्राइवर (device
drivers) की उपलब्धता भी
सुनिश्चित करता हैं।
(G) ऑपरेटिंग सिस्टम के अन्य कार्य (Additional
Function Of Operating System)
रिसोर्स एलोकेशन (Resource
Allocation) :- ऑपरेटिंग सिस्टम
(Operating System) सभी सिस्टम रिसोर्सेज (जैसे CPU, मैमोरी, पेरीफेरल आदि) को प्रोसेसर को इस प्रकार allocate करता हैं, कि सभी रिसोर्सेज का अच्छे ढ़ग से उपयोग
हो सके।
एप्लीकेशन
प्रोग्राम को क्रियान्वित करना।
यूटीलिटी
प्रोग्रामों को क्रियान्वित कराना।
ऐरर डिटेक्शन।
कम्यूनिकेशन तथा
नेटवर्किग।
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